पटना: रालोसपा प्रमुख व पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री श्री उपेंद्र कुशवाहा आज किसी परिचय के मुहताज नहीं हैं। अपने दम पर बिहार के साथ- साथ देश के पटल पर भी अपना लोहा मनवाया है।
मौजूदा वक्त में अगर उन्हें बिहार के राजनीति का केंद्र कहे तो ये कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा का छवि बेदाग और साफ सुथरा है।
उपेंद्र कुशवाहा लोकसभा का चुनाव हारने के बाद भी लगातार मौजूदा सरकार पर हमलावर हैं जिसके वजह से लोगों में उनके नाम का चर्चा हरेक चौक चौराहे पर होने लगा है।
लोगों को लगने लगा है कि नीतीश कुमार को अगर कोई टक्कर दे सकता है तो वो है उपेंद्र कुशवाहा। ये बात नीतीश कुमार को भी पता है कि उपेंद्र कुशवाहा उनके राह का सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो सकते हैं।
आपको बता दें कि रालोसपा प्रमुख श्री उपेंद्र कुशवाहा मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड हो या फिर चमकी बुखार कांड , शिक्षा सुधार हो या फिर युवाओं का रोजगार का मुद्दा हो सबसे पहले सड़कों पर उतर कर संघर्ष करने में सबसे आगे रहे हैं।
हाल हीं में एनआरसी और एनपीआर को लेकर पूरे बिहार में भ्रमण कर समझो समझाओ देश बचाओ यात्रा निकाल लोगों को जागरूक करने का काम किया जिसका परिणाम कुछ दिनों पहले बिहार विधानसभा ये बिल पास किया गया कि बिहार में एनआरसी एनपीआर नहीं लागू किया जाएगा।
उपेंद्र कुशवाहा ने सभी वर्गों को साथ लेकर चलने का भरपूर प्रयास किया है हालांकि उसकी परीक्षा तो विधानसभा चुनाव में हीं होगा कि कितने % लोगों को वो अपने तरफ कर पाते हैं। वैसे जिस समाज से उपेंद्र कुशवाहा आते हैं उस समाज का बिहार में अच्छा खासा जनसंख्या है। तकरीबन 12 से 14 % कुशवाहा पूरे बिहार में है अब देखना ये होगा कि कुशवाहा वोटर कितना % वोट उपेंद्र कुशवाहा को करते हैं।
पूरे बिहार में 63 ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जहाँ कुशवाहा की जनसंख्या सबसे ज्यादा है और वो कुशवाहा बहुल क्षेत्र है। निश्चित हीं उपेंद्र कुशवाहा की नजर इन्ही क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा होगा क्योंकि वो जोखिम भरा सीट पर चुनाव लड़ने के मूड में नहीं दिखाई दे रहे हैं।